June 5, 2023

कोरोना लॉक डाउन और भूख से मरते पक्षी

नवभारत टाइम्स अखबार ने 8 अप्रैल 2020 को एक खबर छापी जिसमे उहोने बताया कि कन्से लॉक डाउन में लोगो ने पक्षियों को दाना डालना कम कर दिया है जिसके कारण बहुत से कबूतर मरने लगे है। कृपया अपना धरती पर सबसे बुद्धिमान होने का परिचय दीजिये और इस विपत्ति भरे समय में पक्षियों और जानवरों की खाना और पानी देकर मदद करे।

हमे याद रखना चाहिये की मानव उड़ान के लिए पक्षी भी प्राथमिक प्रेरणा थे। पशु पक्षी मानव इतिहास से ही मनुष्यों से अभिन्न रूप से जुड़े रहे हैं।

पक्षियों के अंडे मानवों के भोजन का एक महत्वपूर्ण स्रोत रहे हैं, हम विकसित होते रहे और हमने बहुत से पक्षियों की प्रजातियों का शिकार किया और उन्हें विलुप्त प्रजाति के कगार पर पहुंचा दिया।

पक्षियों को दुनिया भर में पालतू जानवर के रूप में देखा जाता है और पालतू व्यापार ने कई प्रजातियों को विलुप्त होने के किनारे तक पहुंचा दिया है।

कीट नियंत्रण, सार्वजनिक स्वास्थ्य, बीज फैलाव, पर्यावरण निगरानी-ये कुछ ऐसे तरीके हैं जिनसे पक्षी मनुष्यों को लाभान्वित करते हैं। आधुनिक इतिहास कीटों की तबाही से आलू के खेतों, फलों के बागों और क्रैनबेरी बोगों को बचाने वाले पक्षियों के महत्वपूर्ण उदाहरणों से भरा पड़ा है। वैज्ञानिकों ने लंबे समय से पक्षियों को उनकी स्वच्छता सेवाओं के लिए मूल्यवान माना है। गिद्ध हमारे वातावरण को साफ़ और स्वच्छ रखने में बहुत अहम् भूमिका अदा करता था। वह मरे हुए जानवर और पक्षियों को खा कर वातावरण में प्रदुषण होने से रोकता था। परन्तु आज उनकी अनुपस्तिथि में मानव को को बहुत सरे वायरस का खतरा झेलना पड़ रहा है। आज मानव जाती जिस कोरोना वायरस (कोविद 19) से तड़प रही है उसका एक कारण गिद्धों का ख़त्म होना भी है।

मनुष्यों ने पक्षियों के पंखो को भी नहीं बख्शा, इंसानों ने पक्षियों को मार कर उनके पंखो को टोपी, हेडड्रेस और वस्त्रो में अलंकरण के रूप में उपयोग किया।

पौराणिक कथाओ में बहुत से पक्षियों का वर्णन मिलता है उनमे से कुछ इस प्रकार है

गिद्ध – रामायण के अनुसार। सीता को बचाने के लिए जटायु (गिद्ध) ने रावण से युद्ध किया।

जटायु के भाई संपति (गिद्ध) ने लंका में सीता के अपहरण और अशोक के पेड़ों के जंगल में कैद होने की पुष्टि की।

गरुड़ – गरुड़ इंद्र और सूर्य के सहयोगी हैं। विष्णु का वाहन भी।

उल्लू – दुर्गा का एक रूप चामुंडा का वाहन। बंगाल में देवी लक्ष्मी का वाहन।

कौआ – आमतौर पर इसकी पहचान दिवंगत आत्माओं या पूर्वजों से की जाती है। यह पक्षी शनि देव (शनि) का वाहन है। बोध धर्म में यह माना जाता है कि कौवे ने पहले, सातवें, आठवें, बारहवें और चौदहवें लामाओं (धर्म गुरु) के जन्म को देखा। 

डव/ कबूतर – ऐसा कहा जाता है कि, शिव और पार्वती अमरनाथ गुफा में क्रमशः नर और मादा कबूतर के रूप में रहते हैं जिन्हें कपोतेश्वरा और कपोतेश्वरी कहा जाता है।

मोर – जब भी इंद्र, स्वर्ग के स्वामी, खुद को एक जानवर में बदल लेते हैं, तो माना जाता है कि वे एक मोर बन जाते हैं। मोरानी नाम का मोर भगवान कार्तिकेय (जिन्हें स्कंद या मुरुगा के नाम से भी जाना जाता है) का वाहन है। मोर कभी-कभी वाहन के रूप में देवी सरस्वती से जुड़ा होता है। भगवान कृष्ण का मुकुट आमतौर पर मोर पंख से सुशोभित होता है।

मध्य भारत के भील जनजाति के मोरी कबीले मोर को कुलदेवता के रूप में पूजते हैं।

मुरग़ा – पक्षी उगते हुए सूरज को निहारता है और इसलिए वह सूर्य का प्रतीक है। तमिल परंपरा में, इसे भगवान मुरुगा द्वारा ध्वज पर प्रतीक के रूप में लिया गया था। यह असम की देवी कामाख्या से जुड़ा हुआ है।

हंस – यह भगवान ब्रह्मा और देवी सरस्वती का वाहन है। यह बौद्धों के लिए पवित्र माना जाता है।

पक्षी संरक्षण में शामिल होना आसान है, और किसी भी चीज़ की तरह, आपके कुछ सबसे उपयोगी कार्य घर पर शुरू होते हैं।

चलिए एक नई शुरुवात करते हे जो हमको बहुत पहले ही शुरू कर लेनी चाहिये थी पर एक मशहूर कहावत “जब आँख खुली तभी सवेरा” का उधारण लेकर अब की बार इस काम को नजरअंदाज न करे। द समझ के साथ हम अपनी यात्रा को उस चरम तक पंहुचा कर ही दम लेंगे जब आस पास पक्षी उड़ उड़ हमारा धन्यवाद करेंगे।

1.   खिड़की पर टकराने से बचाएं – दिन के उजाले में, पक्षी खिड़कियों में दुर्घटनाग्रस्त हो जाते हैं क्योंकि वे वनस्पति के प्रतिबिंब देखते हैं या कांच के माध्यम से दूसरी तरफ पौधों या वनस्पति को देखते हैं। एक अतिरिक्त कारण यह भी है कि पक्षी कभी-कभी एक खिड़की में अपना प्रतिबिंब देखते हैं और उस पर हमला करते हैं।

खिड़की पर टकराने से बहुत से पक्षियों की मृत्यु हो जाती है। कृपया अपनी खिड़की पर पर्दा या ग्रिल लगा कर पक्षियों की मृत्यु दर को कम करने में अपना योगदान दे।

2.   पक्षियों को पालतू बनाने के लिए न ख़रीदे – पिंजरे में बंद पक्षियों को न ख़रीदे। बहुत से लोग अवैध रूप से पकड़े गए जंगली पक्षियों को बेच रहे हैं। एक पक्षी [जंगली] एक दिन में कई मील की दूरी पर उड़ रहा होगा, लेकिन एक पालतू जानवर के रूप में, एक पक्षी अकेला और एक पिंजरे में है बेशक वह परेशान होगा, कारावास के तनाव के कारण, वे असामान्य व्यवहार प्रदर्शित करते हैं, जैसे सलाखों पर काटना आदि।

3.   पक्षियों का बर्तन समय समय पर साफ़ करे – अपने बर्ड फीडर्स (पक्षियों का बर्तन) को साफ करें गंदे फीडर बीमारी फैला सकते हैं। फीडर से पुराने बीज को बार-बार साफ करें।

4.   पक्षियों के प्राकृतिक आवास को पुनर्स्थापित करें – अपने आस पास पक्षियों के प्राकृतिक आवास को पुनर्स्थापित करें उनको रहने के लिए एक जगह की आवश्यकता है और कई पक्षियों के आवास गायब हो रहे हैं। सिटी पार्क और खुले स्थान पक्षियों के लिए प्राकृतिक स्थान हैं।

5.   अपनी दूरी रखें – पक्षियों को भोजन, घोंसले के शिकार और अन्य दैनिक गतिविधियों के लिए जगह की आवश्यकता होती है। बहुत करीब से देखने के कारण वे घबरा सकते हैं और वह अंडों को छोड़ कर जा सकते हे जिससे अंडों नुकसान पहुंच सकता है।

6.   देशी पेड पोधे लगाए – देशी पौधे (Native Plants) पक्षियों के लिए भोजन, घोंसला स्थल और आवरण प्रदान करते हैं। अपने घरो के समीप और जहा भी संभव हो सके पोधे लगाए।

7.   बाहर जाओ और प्रकृति का आनंद लें – एक स्थानीय पार्क ढूंढें और टहलने जाएं और पक्षियों वो देख आनंद प्राप्त करे।

8.   ऊर्जा का उपयोग कम करे – अपनी बाइक और कार की सवारी कम करें तथा पैदल चले इससे कार्बन उत्सर्जन कम होगा और पक्षी आवास के प्रदूषण रुकेगा। अपने घर में जरुरत न होने पर रोशनी बंद करना न केवल आपके बिजली बिल को कम करेगा, बल्कि पक्षियों को आपकी खिड़कियों से टकराने से रोकने में भी मदद करेगा।

9.   दाना और पानी की उचित व्यवस्था – आप अपने कीमती समय से रोज केवल 2 मिनट निकाल कर पक्षियों को दाना और पानी देकर उनको भूख से मरने से बचा सकते है। अपने बच्चो को भी यह अच्छी बाते बचपन से सिखाए।

एक समय था जब सुबह पक्षी अपनी आवाज से लोगो को उत्साह देते थे एक नए दिन का आरंभ करने को और फिर धीरे धीरे हमने उनका घर रुपी प्रकृति को उनसे छीन लिया आज बहुत से पक्षी बस किताबो में बचे है।

2 thoughts on “कोरोना लॉक डाउन और भूख से मरते पक्षी

  1. It is very informative blog and also a fruitful resource to create awareness about the secure and healthy life of birds.There is an emergent need to take such steps that nurture the life of birds.

    1. आपकी बहुमूल्य टिप्पणियाँ हमें अधिक से अधिक लोगों को जागरूक करने के लिए प्रेरित करती हैं। आपका बहुत बहुत धन्यवाद 🙂

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