October 1, 2023

मधुमक्खी और वातावरण खतरे में है

आज राज्य सरकर, केंद्र सरकार और समाज सेवी संस्थाएं हरित क्षेत्र बढ़ाने ने लिए बहुत सारे प्रयास कर रहे हैं। फिर भी बहुत ज्यादा सफलता प्राप्त होती नहीं दिखाई देती। इसकी प्रमुख वजह है लोगों में विशेषकर नई पीढ़ी में इसे लेकर जागरूकता की कमी। हमारी नई पीढ़ी को पेड़ व पर्यावरण जैसी चीजें जीवन में अधिक मूल्यवान नहीं लगती।

दूसरी- वजह है मधुमक्खियो की लगातार कम होती संख्या। फूल वाले पौधे परागन के लिए 80 % तक मधुमक्खी पर निर्भर होते हैं। परन्तु रासायनिक कीटनाशक का अत्यधिक मात्रा में इस्तेमाल मधु मक्खी को बहुत ज्यादा नुक्सान पहुंचा रहा है।

आज स्कूलों के बच्चे गर्मियों की छुट्टियों में एक्टिविटी या स्पोर्ट्स में अपना ध्यान न लगा कर मोबाइल फ़ोन पर समय व्यतीत कर रहे हैं। इसके कारण बच्चे अपना मानसिक विकास करने में असमर्थ हैं , बल्कि इसके द्वारा बच्चो के अंदर मानसिक विकार जरूर आ सकता है। एक समय था जब बच्चे गर्मियों की छुट्टियों में गांव या घर पर ही पेड़ पौधों व पर्यावरण के बेहद करीब रहा करते थे।

द समझ के संस्थापक तथा अध्यक्ष श्री आर जै रावत द्वारा एक ऐंसे अध्यन केंद्र की स्थापना की गई है जहां बच्चों को न केवल अध्यन कराया जाता है बल्कि उन्हें पौधे से जुड़े कार्यकलाप तथा हुनर सिखाए जाते हैं। बच्चो को प्रशिक्षित- किया जाता है तथा समाज में पेड़ व पौधों की अहमियत के लिए जागरूक भी किया जाता है। यह बच्चों को मोबाइल की आभासी दुनिया से बाहर निकालकर वास्तविकता- से परिचित कराने का एक प्रयास है।

हमारा यह प्रयास उस सोच से प्रभावित है कि हर कार्य केवल सरकार के भरोसे नहीं छोड़ दिया जा सकता। सरकार के साथ हम सबको भी पर्यावरण के प्रति अपनी भूमिका अदा करनी पड़ेगी तभी हम अपनी आने वाली पीढी को एक बेहतर जीवन व हरा भरा माहौल दे पाएंगे। और केवल बच्चों के ही नहीं बल्कि हमारा उद्देश्य हर इंसान को वृक्षारोपण- के कुछ बुनियादी नियम बताना है जिसकी शुरुआत आप कीटनाशकों की जानकारी के साथ कर सकते हैं। कीटनाशकों का प्रयोग भारत सरकार के दिशा निर्देशों के अनुरूप करे। इस विषय में अधिक जानकारी के लिए यहां क्लिक करें – https://farmer.gov.in/ipmpacka- geofpractices.aspx
आने वाली पीढी विशेषकर बच्चों के बिना ऐसा करना बिल्कुल भी संभव नहीं है। अतः सभी विद्यालयों- को वृषक्षारोप- ण पर अपने स्कूल में कार्यक्रम प्रारम्भ करने चाहिए। हमे यूथ को भी साथ लेना होगा और इसके लिए सभी विश्वविद्यालय को प्रयासरत होना होगा। जागरूकता के लिए हर क्षेत्र के जाने माने लोगो को अपना समय देकर अपना फ़र्ज़ अदा करना होगा तभी यह संकल्प पूर्ण होगा।

आज मिलकर ये संकल्प लेते है की हमे मधुमक्खी को हर संभव प्रयास करके बचाना है ताकि वह फिर से पर्यावरण में हमारी मदद कर सके।

शिक्षा व पर्यावरण संरक्षण की इस मुहिम में द समझ आने वाली पीढी को शैक्षिक व आदर्श जीवन के क्षेत्र में बेहतर बनाने के लिए प्रतिबद्घ है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *